शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

**********************किसका देश ****************
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सवाल आपसे ....

आदि वासी ही इस देश के मूल वासी है ,यह आदिवासीयों का ही देश है ,यहाँ आर्य ,ब्राम्हण,मुस्लमान और ईसाई, बाहर से आये इस देश का आर्येकरण ,ब्रम्नीकरण , इस्लामी वा ईसाईकरण हुआ पर आदि वासी समाज ने इन सब से अपने को अलग वा आजाद रखा वै पीछे ( विस्थापित ) होते चले गए पर किसी कि अधीनता नहीं स्वीकारी, इस विकाश शील समाज से जानबूझकर अपने को दूर रखा क्योकि वे इस विकास को वै अपना विनाश समझते है |
आर्य आदि वासियों को अपना गुलाम नहीं बना पाए , ब्राम्हणवादी ब्यावस्था से भी अपनी दुरी बनाये रखी ,मुगलों कि अधीनता भी नहीं स्वीकारी, अग्रेज भी गुलामी कि जंजीर में नहीं जकड़ सके ,उनसे दुरी बनाये रखने में अपना हित व विकाश समझा | आदिवासियों का देश वा उनकी राजधानी "अबुझमाड़ " सच मुच अब तक दुनिया से दूर व अछुता बनी रही वे आजाद रहे ...उनका देश आजाद रहा |
आदि वासी भी चाहते है कि उनकी संस्कृति,परम्पराओ व रीति-रिवाज़ का आधुनिकीकरण हो पर आधुनिक समाज कि असमानता व विसगतियों से बचना चाहते है| सरकार कहती है कि विकाश सब कुछ है पर आदिवासी अपने सामाजिक पर्यावरण को सब कुछ मानते है |
दरअसल यही उनका विकाश है यही उनकी आजादी है वरना आदिवासियों और गैर आदिवासी देश के बीच क्या अन्तर रह जायेगा |
...सवाल पैदा होता है कि सरकार आदिवासीयो के देश व उनकी राजधानी अबूझमाड़ को सेना ,पुलिश कमांडो और अस्त्र शस्त्र के बल क्यों मिलाना चाहती है ?

उनके लिए रोड ,रेल , बिजली ,बसे बिना उनकी मर्ज़ी के क्यों दौडाना चाहती है ?
जवाब दिन के रौसनी कि तरह अस्पष्ट है , जैसा कि उनके घर आगंन खेत ,खलिहान में सोने ,चांदी ,हीरे , और मोतियों के खान है ,लोहा कोयला और बाक्साइट के बडे भंडार है जिन पर देशी और विदेशी पूंजीपतियों कि ललचायी हुई गिद्ध दष्टी है |पूँजीपति,मल्टीनेशनल,कार्पोरेट व पूँजीपति ,राज्य व केंद्र सरकार को मोटा कमीशन थमा कर आदिवासी देश कि प्राकृतिक सम्पदा ,,पर्यावरण का विनाश कर चम्पत हो जाना चाहते है |इसी कारण से वे रेल और रोड का निर्माण कर जंगल का विनाश करने में लगे हुये है |
सवाल पैदा होता है कि हम उन्हें आजाद क्यों ना रहने दे ?
आदिवासी कहते है कि जंगल और पहाड़ हमारा देश है सरकार कहती है हमारा है सोचो ,किसका देश है ? सोचो कौन देसी है कौन परदेशी है , CRPF कोबरा सेना पुलिश अर्धसैनिकबल ,SP, कलेक्टर ,देसी है अथवा आदिवासी कौन किसके जगह में गया है ,|और आप लोगो से आखरी  सवाल ....
सरकार क्या शहरों कि गन्दगी को साफ कर चुकी है जो जंगलो को साफ करने गये है ?
क्या शहर, गावों, के लोगो को रोजगार दे चुकी है जो जंगलो में में विकास और रोज़गार कि बात कर
रही है जो उनकी सरकारी नितियों से दूर रहना पसंद करते है ?

जब शहरों, गावों में रोज़गार ,उचित वेतन , विकाश ,भ्रष्टाचार कि बात करती है तो लाठी कि मार पड़ती है और जब और जब जंगल में आदिवासी सरकारी नीतियों और उसके विकास माँडल से दूर रहना चाहती है तो भी वहाँ गोली चलती है |

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