मंगलवार, 19 मार्च 2013

Break marrige be socilist


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भारत मे एक सामाजिक क्रांति होने जा रही है क्या उसे आप देख पा रहे है ?


 विवाह एक अप्राकृतिक है प्रेंम प्राकृतिक 

विवाह नारी के निजीकरण की प्रक्रिया है प्रेंम समाजीकरण की 

शादी महिला और पुरुष दोनों को गुलाम बनाती है 

प्रेंम झरना है, रोमांस नदी  , और शादी कुआ

महिला मुक्ति का मार्ग ,पति नहीं पिता के घर से प्रारम्भ होता है 


नारी अगर शादी करती है तो एक शिशु को जन्म देती है और शादी नहीं करती तो समाजवाद को 

महिला मुक्ति तब तक संभव नहीं है  जब तक महिला और पुरुष का स्वतंत्र इकाई के रूप मे अलग अलग विकास  ना हों ...........




विवाह संस्था माथे के बल खड़ी है इसे  पाव के बल खड़ा कर दो ....प्रेंम शादी विरोधी पहलकदमी है 
विवाह संस्था पतन शील व मरणशील है ...यह अगले पचास वर्षों मे समाप्त हों जायेगी.....
विवाह संस्था पांच टुकडो मे टूट चुकी है

  1. विलम्ब शादी 
  2. तालाख
  3. लिव इन रिलेशनशीप
  4. मात्र २० रूपए कमाने वालो ८० करोड़ लोगो  को कौन अपनी बेटी देना चहेगा ......,?
एक निष्ठता जो आदर्श के रूप मे लिया जा रहा है समाज से आहिस्ते आहिस्ते गायब होती चली जा रही है

 इस प्रकार विवाह संस्था का भविष्य अंधकार मय है और अगले पचास वर्षों मे पूरी तरह से समाप्त हों जाये गी  हमें यह नहीं भूलना चाहिए की विवाह संस्था सामंतवाद का आधारऔर प्राण है और चुनाव पूँजीवाद का इन दोनों संस्थाओ को हम जितना जल्दी तोड़ कर फेक देंगे उताना ही जल्दी समाजवादी समाज जन्म लेगा , इस तरह विवाह करना समाज के साथ चोरी है ...पाप है शादियों से ही रिश्ते है शादियों के टूटने से रिश्ते अपने आप 
समाप्त हों जायेगे . भाई भतीजा वाद भी खत्म हों जाये गा तथा जाती पाती भी  , यह एक सामाजिक क्रांति होगी जो अंततः समाजवाद को जन्म देगा ,,,,,
इसी लिए आज का स्लोग़न है.  

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